A. K. Hangal एक अनुभवी भारतीय अभिनेता थे, जो हिंदी सिनेमा में अपने चरित्र भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। आबिद अली खान के रूप में जन्मे, उन्होंने स्क्रीन नाम A. K. Hangal अपनाया। उनका जन्म 1 फरवरी, 1914 को हुआ था और 26 अगस्त, 2012 को उनका निधन हो गया। A. K. Hangal ने 225 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से पिता, चाचा या दादा की भूमिकाएँ निभाईं। उन्हें “शोले”, “नमक हराम” और “शौकीन” जैसी फ़िल्मों में उनके अभिनय के लिए व्यापक पहचान मिली। उनकी अलग पहचान और यादगार अभिनय ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया।
जन्म |
1 फरवरी 1914 |
जन्म स्थान |
सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु |
26 अगस्त 2012 (आयु 98) |
मृत्यु स्थान |
मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
अन्य नाम |
पद्मभूषण अवतार कृष्ण हंगल |
व्यवसाय |
अभिनेता |
सक्रिय वर्ष |
1929-1947 (स्वतंत्रता सेनानी),1936-1965 (थिएटर अभिनेता),1965-2005 (फिल्म कैरियर),1980-2012 (टेलीविजन कैरियर) |
उल्लेखनीय कार्य |
आइना में राम शास्त्रीशौकीन में इंदर सेनशोले में इमाम साहबनमक हराम में बिपिनलाल पांडेआंधी में वृंदा काका |
बच्चे |
1 |
A. K. Hangal का भारतीय फिल्म उद्योग में सफर कई दशकों तक फैला रहा, जिसके दौरान उन्होंने अपने बहुमुखी अभिनय से एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने फिल्मों में अपना करियर अपेक्षाकृत देर से, 1960 के दशक में शुरू किया, एक दर्जी और फिर एक मंच अभिनेता के रूप में काम करने के बाद। उन्हें सफलता 1967 में फिल्म “शागिर्द” से मिली, जिसमें उन्होंने एक चरित्र भूमिका निभाई।
A. K. Hangal को बुजुर्गों, पिता जैसे लोगों को गहराई और प्रामाणिकता के साथ चित्रित करने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता था। उन्होंने अक्सर ऐसे किरदार निभाए जो बुद्धिमान, दयालु और नैतिक रूप से ईमानदार थे, जिससे वे कई पीढ़ियों के दर्शकों के बीच लोकप्रिय हुए। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में “बावर्ची”, “आइना”, “कोरा कागज़” और “अवतार” शामिल हैं।
फिल्मों के अलावा, A. K. Hangal कई टेलीविजन धारावाहिकों में भी दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय कौशल को और भी बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया। उन्हें न केवल उनके अभिनय कौशल के लिए बल्कि उनकी विनम्रता और अपने काम के प्रति समर्पण के लिए भी जाना जाता था। अपने अंतिम वर्षों में भी, उन्होंने तब तक फिल्मों और टेलीविजन में काम करना जारी रखा जब तक कि उनका स्वास्थ्य खराब नहीं हो गया।
भारतीय सिनेमा में A. K. Hangal का योगदान बहुत बड़ा है और वे एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिन्हें उनके यादगार अभिनय और उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए याद किया जाता है।
A. K. Hangal का प्रभाव उनके अभिनय करियर से कहीं आगे तक फैला हुआ था। वे अपने प्रगतिशील और वामपंथी विचारों के लिए जाने जाते थे, जो अक्सर अपनी भूमिकाओं और सार्वजनिक बयानों के माध्यम से उन्हें दर्शाते थे। A. K. Hangal इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे। उनकी वैचारिक मान्यताएँ अक्सर उनके द्वारा निभाए गए किरदारों से मेल खाती थीं, जिसने उनके अभिनय में गहराई और प्रामाणिकता जोड़ दी।
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अपने अभिनय के अलावा, A. K. Hangal को उनके निजी जीवन में उनकी सादगी और विनम्रता के लिए भी सराहा जाता था। प्रसिद्धि और पहचान हासिल करने के बावजूद, वे अपने प्रशंसकों के लिए जमीन से जुड़े और सुलभ बने रहे। उन्हें न केवल उनकी प्रतिभा के लिए बल्कि उनकी ईमानदारी और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान दिया जाता था।
अपने जीवन के अंतिम दिनों में, A. K. Hangal को वित्तीय कठिनाइयों और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसने फिल्म बिरादरी और जनता का ध्यान आकर्षित किया। कई अभिनेता और फिल्म निर्माता उन्हें समर्थन देने के लिए आगे आए, जो उनके द्वारा वर्षों में अर्जित सम्मान और स्नेह को दर्शाता है।
A. K. Hangal की विरासत भारतीय सिनेमा में मनाई जाती है, उनके यादगार अभिनय को स्क्रीन पर अमर कर दिया गया है। उन्हें सिर्फ़ एक अभिनेता के रूप में ही नहीं बल्कि उससे कहीं ज़्यादा के रूप में याद किया जाता है; उन्हें ईमानदारी, करुणा और कलात्मक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में सम्मान दिया जाता है।
ak hangal son
A. K. Hangal का एक बेटा था जिसका नाम विजय हंगल था। विजय हंगल भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे, लेकिन अपने पिता की तरह मशहूर नहीं थे। उन्होंने प्रोडक्शन और डायरेक्शन जैसे कई पदों पर पर्दे के पीछे काम किया। हालाँकि उन्हें अपने पिता जितनी प्रसिद्धि नहीं मिली, लेकिन विजय इंडस्ट्री के लोगों में जाने जाते थे।
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A. K. Hangal का 26 अगस्त, 2012 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। हंगल को बुढ़ापे से जुड़ी कई बीमारियाँ थीं, जिनमें कूल्हे का फ्रैक्चर और अन्य जटिलताएँ शामिल थीं। उनका गिरता स्वास्थ्य उनके प्रशंसकों और फ़िल्म जगत के बीच चिंता का विषय बन गया था। चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के बावजूद, वे अपनी बीमारियों के कारण दम तोड़ गए। उनके निधन ने भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत कर दिया, और उद्योग में उनके योगदान की प्रशंसा करने वाले कई लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
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A. K. Hangal का जन्म 1 फरवरी 1914 को हुआ था और उनका निधन 26 अगस्त 2012 को हुआ था। इसलिए, उनकी मृत्यु के समय उनकी आयु 98 वर्ष थी।
ak hangal wife
A. K. Hangal की पत्नी का नाम मनोरमा हंगल था। वह उनकी जीवन संगिनी थीं और फिल्म उद्योग में उनके सफर के दौरान उनके साथ खड़ी रहीं। मनोरमा हंगल अपने पति की तरह सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देती थीं और उनके बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है। वह काफी हद तक सुर्खियों से दूर रहीं और अपने पति के करियर और निजी जीवन में उनका साथ दिया।
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A. K. Hangal की आखिरी फिल्म “गली गली चोर है” थी, जो 2012 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में उन्होंने अक्षय खन्ना और श्रेया सरन जैसे अभिनेताओं के साथ सहायक भूमिका निभाई थी। “गली गली चोर है” रूमी जाफ़री द्वारा निर्देशित एक कॉमेडी-ड्रामा थी, और यह भारत में भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों के विषयों पर आधारित थी। उस समय अपने गिरते स्वास्थ्य के बावजूद, हंगल ने फिल्मों में काम करना जारी रखा, अपने जीवन के अंत तक अपने काम के प्रति समर्पण का प्रदर्शन किया।
What is the full name of AK hangal?
A. K. Hangal का पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। फ़िल्म उद्योग में उन्हें अक्सर उनके नाम के पहले अक्षर ए. के. हंगल से ही पुकारा जाता था।
Who is the imam in sholay?
प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म “शोले” में, आप जिस किरदार का जिक्र कर रहे हैं, वह इमाम साहब है, जिसे अभिनेता A. K. Hangal ने निभाया था। इमाम साहब उस गांव के दयालु और बुद्धिमान बुजुर्ग हैं, जहां कहानी का अधिकांश हिस्सा घटित होता है। गांव के लोग उनका सम्मान करते हैं और मुख्य पात्रों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हुए कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। A. K. Hangal द्वारा इमाम साहब का किरदार निभाना उनके लंबे करियर में उनके यादगार प्रदर्शनों में से एक है।