rajendra lahiri (DOB-29 June 1901)

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rajendra lahiri एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े थे। लाहिड़ी जुगांतर समूह का हिस्सा थे, जो उस समय बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी संगठनों में से एक था।

 

rajendra lahiri

जन्म

29 जून 1901

जन्म स्थान

पबना, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत

(वर्तमान बांग्लादेश)

मृत्यु

17 दिसंबर 1927 (उम्र 26 वर्ष)

मृत्यु स्थान

गोंडा जेल, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत

(वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु का कारण

फाँसी पर लटकाना

राष्ट्रीयता

ब्रिटिश भारतीय

शिक्षा

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

व्यवसाय

क्रांतिकारी

संगठन

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन

आंदोलन

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

पिता

क्षितीश मोहन लाहिड़ी

rajendra lahiri को विशेष रूप से काकोरी षडयंत्र में शामिल होने के लिए याद किया जाता है, यह एक ट्रेन डकैती थी जो 9 अगस्त, 1925 को भारत के लखनऊ के पास एक छोटे से शहर काकोरी के पास हुई थी। काकोरी षडयंत्र का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए धन प्राप्त करना था। हालाँकि, योजना को विफल कर दिया गया और लाहिड़ी को इसमें शामिल अन्य क्रांतिकारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।

बाद में काकोरी षड्यंत्र में उनकी भूमिका के लिए rajendra lahiri पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 17 दिसंबर, 1927 को उन्हें फाँसी दे दी गई। rajendra lahiri के बलिदान और बहादुरी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के हिस्से के रूप में याद किया जाता है, और वह देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं।

rajendra lahiri का जीवन भारतीय स्वतंत्रता के लिए त्याग और समर्पण की भावना का उदाहरण है।

यहां उनकी पृष्ठभूमि और योगदान के बारे में कुछ और विवरण दिए गए हैं:

प्रारंभिक जीवन: rajendra lahiri का जन्म 23 फरवरी, 1891 को भारत के वर्तमान उत्तर प्रदेश के काकोरी गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा काकोरी में प्राप्त की और बाद में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गये।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ: rajendra lahiri कम उम्र में ही क्रांतिकारी संगठनों से जुड़ गये। वह जुगांतर समूह में शामिल हो गए, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध के लिए प्रतिबद्ध था। rajendra lahiri ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान और चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे अन्य क्रांतिकारियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ विद्रोह के विभिन्न कार्यों में भाग लिया।

काकोरी षड्यंत्र: rajendra lahiri के जीवन के सबसे उल्लेखनीय प्रसंगों में से एक काकोरी षड्यंत्र में उनकी भागीदारी थी। हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) के अन्य सदस्यों के साथ, उन्होंने 9 अगस्त, 1925 को काकोरी के पास साहसी ट्रेन डकैती की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। इसका उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए ट्रेन में रखे गए सरकारी खजाने को लूटना था। हालाँकि, योजना पूरी तरह से सफल नहीं हुई और rajendra lahiri सहित कई प्रतिभागियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

मुकदमा और निष्पादन: अपनी गिरफ्तारी के बाद, rajendra lahiri को काकोरी षड्यंत्र में शामिल अन्य क्रांतिकारियों के साथ मुकदमे का सामना करना पड़ा। उन पर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया गया और मौत की सजा सुनाई गई। क्षमादान की अपील के बावजूद, rajendra lahiri और तीन अन्य – राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान और रोशन सिंह – को 17 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में फाँसी दे दी गई।

विरासत: rajendra lahiri के बलिदान और भारतीय स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक श्रद्धेय व्यक्ति बना दिया है। उन्हें एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। काकोरी षडयंत्र भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना बनी हुई है, और rajendra lahiri का नाम अक्सर आंदोलन के अन्य शहीदों के साथ लिया जाता है।

rajendra lahiri का जीवन और बलिदान भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता है, उन्हें अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए आवश्यक लचीलेपन और दृढ़ संकल्प की याद दिलाता है।

Where was Rajendra Lahiri hanged?(राजेंद्र लाहिड़ी को कहाँ फाँसी दी गई थी?)

rajendra lahiri को गोरखपुर सेंट्रल जेल में फाँसी दी गई। गोरखपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है। गोरखपुर की सेंट्रल जेल वह जगह थी जहां rajendra lahiri को अन्य काकोरी साजिशकर्ताओं के साथ 17 दिसंबर, 1927 को फांसी दी गई थी।

How much money was looted in Kakori Kand?(काकोरी कांड में कितना पैसा लूटा गया था?)

9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी षडयंत्र में क्रांतिकारियों ने ट्रेन में लदे सरकारी खजाने को लूटने का प्रयास किया। काकोरी षडयंत्र के दौरान लूटी गई धनराशि की वास्तविक राशि लगभग 8,000 रुपये थी। हालाँकि, ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य केवल धन लूटना नहीं था, बल्कि भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए धन जुटाना भी था।

Why is Kakori famous?(काकोरी क्यों प्रसिद्ध है?)

काकोरी मुख्य रूप से काकोरी षड्यंत्र के कारण प्रसिद्ध है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी। काकोरी षड़यंत्र, जिसे काकोरी ट्रेन डकैती के नाम से भी जाना जाता है, 9 अगस्त, 1925 को भारत के वर्तमान उत्तर प्रदेश में लखनऊ के पास स्थित काकोरी शहर के पास हुआ था।

काकोरी षड्यंत्र में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़े क्रांतिकारियों का एक समूह शामिल था, जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान, rajendra lahiri और अन्य शामिल थे। क्रांतिकारियों ने ट्रेन में लदे सरकारी खजाने को लूटने के उद्देश्य से एक साहसी ट्रेन डकैती की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। उनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए धन प्राप्त करना था।

हालाँकि क्रांतिकारी ट्रेन रोकने और पैसे लूटने में कामयाब रहे, लेकिन ऑपरेशन योजना के अनुसार नहीं चला और अंततः वे ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पकड़े गए। काकोरी षडयंत्र के कारण ब्रिटिश भारत में एक महत्वपूर्ण मुकदमा चला, जहां कई क्रांतिकारियों को मौत या कारावास की सजा सुनाई गई।

काकोरी षडयंत्र ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसने उन लोगों के बीच बलिदान, बहादुरी और दृढ़ संकल्प की भावना को उजागर किया जो भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालने को तैयार थे। इस घटना ने राजनीतिक कैदियों की दुर्दशा की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और भारत में राष्ट्रवादी भावना को और बढ़ावा दिया।

कुल मिलाकर, काकोरी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अवज्ञा के इस साहसी कार्य और काकोरी षड्यंत्र में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों के कारण भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध है।

Rajendra Lahiri BIODATA(राजेंद्र लाहिड़ी बायोडाटा)

rajendra lahiri भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे, विशेष रूप से क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े हुए थे।

यहां उनके जीवन का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

पूरा नाम: राजेंद्र नाथ लाहिड़ी

जन्म: जन्म की सही तारीख आसानी से उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनका जन्म 20वीं सदी की शुरुआत में, संभवतः बंगाल, भारत में हुआ था।

भूमिका: स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी

एसोसिएशन: जुगांतर समूह, बंगाल में एक क्रांतिकारी संगठन और बाद में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) के साथ जुड़े।

उल्लेखनीय घटना: 1925 के काकोरी षड्यंत्र में भाग लिया, एक ट्रेन डकैती जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन प्राप्त करना था।
गिरफ्तारी और मुकदमा: काकोरी षडयंत्र की विफलता के बाद, लाहिड़ी को अन्य प्रतिभागियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में मुकदमा चलाया गया।

फांसी: काकोरी षडयंत्र में शामिल होने के लिए मौत की सजा पाए राजेंद्र लाहिड़ी को 17 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।

विरासत: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद के रूप में लाहिड़ी के बलिदान और बहादुरी को याद किया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है। वह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं, जो औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध की भावना का प्रतीक है।

rajendra lahiri का जीवन उन अनगिनत व्यक्तियों के साहस और बलिदान का उदाहरण है जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

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