Sardar Vallabhabhai Patel (DOB- 31 OCTOBER 1875)

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Sardar Vallabhabhai Patel, जिन्हें सरदार पटेल के नाम से जाना जाता है, भारत के इतिहास में एक प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक व्यक्ति थे, खासकर ब्रिटिश शासन से आजादी के संघर्ष के दौरान। उनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को भारत के गुजरात राज्य के एक छोटे से गाँव नडियाद में हुआ था। पटेल ने 1947 में आजादी के बाद रियासतों को नवगठित भारतीय गणराज्य में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Sardar Vallabhabhai Patel

यहां Sardar Vallabhabhai Patel की संक्षिप्त जीवनी दी गई है:

जन्म

31 अक्टूबर 1875

नडियाद, गुजरात

मृत्यु

15 दिसंबर 1950 (आयु 75 वर्ष) बम्बई( मुंबई ) , भारत

मौत का कारण

हार्ट अटैक

राजनीतिक दल

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

जीवनसाथी

झावेरबेन पटेल (1880 – 11 जनवरी 1909)

बच्चे

मणिबेन पटेल

दहयाभाई पटेल

माँ

लाड बाई (1847 – 11 अक्टूबर 1932)

पिता

झावेरभाई पटेल (1829 – मार्च 1914)

पेशा

बैरिस्टर, राजनीतिज्ञकार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी

पुरस्कार

भारत रत्न (1991)

सरदार पटेल के जीवन की एक झलक

साल (year) 

झलक

1875
करमसाद में प्रारंभिक वर्ष
31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में जन्मे पटेल ने अपने प्रारंभिक वर्ष करमसाद में बिताए।
1890
शिक्षा
वल्लभाई ने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात के खेड़ा जिले के एक छोटे से गाँव करमसाद में शुरू की। वह बड़ौदा क्षेत्र के एक छोटे से शहर पेटलाड में रहता है।
1892
शादी
वल्लभभाई की उम्र लगभग 17 वर्ष थी जब उन्होंने गाना गांव की एक लड़की झावेरबा से शादी की। दुर्भाग्य से, उसके बारे में बहुत कम जानकारी है।
1897
मैट्रिकुलेशन 
22 साल की उम्र में नडियाद के स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की
1900
लॉ में एक सफल करियर की शुरुआत
पटेल गोधरा में एक वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस कर रहे थे। एक वकील के रूप में उन्होंने तेजी से सफलता हासिल की और जल्द ही अग्रणी आपराधिक वकीलों में से एक बन गए।
1910
बार की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड रवाना होना
कई बाधाओं और अड़चनों के बाद 35 साल की उम्र में, पटेल अंततः बैरिस्टरशिप परीक्षा के लिए अध्ययन करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए।
1918
गांधीजी ने वल्लभभाई को अपना उपसेनापति चुना
‘बहुत से लोग मेरा अनुसरण करने को तैयार थे, परंतु मैं यह निश्चय नहीं कर सका कि मेरा उपसेनापति कौन हो। तब मैंने वल्लभभाई के बारे में सोचा,’ गांधी ने खेड़ा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए पटेल की अपनी पसंद पर विचार करते हुए कहा। यह सरदार पटेल के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
1918
खेड़ा में मोड़
एक किसान विरोध का नेतृत्व करते हुए, पटेल ने अपने जीवन के पथ को सार्वजनिक सेवा के मार्ग की ओर मोड़ दिया।
1921
राष्ट्र पटेल की संगठनात्मक प्रतिभा का लोहा मानता है
1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन अहमदाबाद में होना था। पटेल को स्वागत समिति का अध्यक्ष चुना गया, जो 5000 से अधिक प्रतिनिधियों और आगंतुकों की उपस्थिति के लिए जिम्मेदार थे, जिनके सत्र में भाग लेने की उम्मीद थी। तैयारियों के पैमाने से बेपरवाह, पटेल ने आगंतुकों के लिए पानी से लेकर कार्यक्रम स्थल पर हजारों जूतों के प्रबंधन तक हर चीज की जिम्मेदारी संभाली!
1924-28
अहमदाबाद नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए।
अहमदाबाद नगर बोर्ड के निर्वाचित अध्यक्ष, पटेल ने कार्यभार संभाला और अहमदाबाद की जल निकासी, स्वच्छता, सफ़ाई और जल वितरण प्रणालियों में सुधार किया। नागरिकों को आश्चर्यचकित करते हुए, बोर्ड के अध्यक्ष ने स्वयं झाड़ू और धूल की गाड़ी उठाई, और शहर के हरिजन क्वार्टर की सफाई शुरू कर दी। अहमदाबाद शहर को एक नया हीरो मिला है।
1927
वल्लभभाई सरदार बने
बारडोली में बड़े पैमाने पर किसान विरोध का आयोजन करके, पटेल को राष्ट्रीय ख्याति मिली। यहीं पर उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि मिली।
1931
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए
1931 में जेल से बाहर आते ही, पटेल को भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के कराची सत्र का अध्यक्ष चुना गया। जिस समय भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फाँसी पर देश गुस्से में था, उन्होंने ऐसा भाषण दिया जो उस समय की भावना को प्रतिबिंबित करता था।
1947
भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के पारित होने के साथ, स्वतंत्रता का लंबे समय से पोषित सपना अंततः साकार हो गया है।
1947
स्वतंत्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री
पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और पहले गृह मंत्री भी बने। वह राज्य विभाग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का भी कार्यभार संभालते हैं।
1947
एक राष्ट्र का निर्माण
सरदार पटेल की सबसे स्थायी विरासत बनने के लिए, उन्होंने राज्य विभाग का कार्यभार संभाला और 565 रियासतों को भारत संघ में शामिल करने के लिए जिम्मेदार थे। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नेहरू ने सरदार को ‘नए भारत का निर्माता और सुदृढ़ीकरणकर्ता’ कहा।
1950
सरदार पटेल की नींद शाश्वत
15 दिसंबर 1950 को सरदार पटेल ने अंतिम सांस ली
प्रारंभिक जीवन:
Sardar Vallabhabhai Patel  का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। गुजरात में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, वह लंदन में कानून की पढ़ाई करने चले गए, जहाँ उन्होंने बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की। भारत लौटने पर, उन्होंने अहमदाबाद, गुजरात में एक सफल कानूनी अभ्यास स्थापित किया।
राजनीति में प्रवेश:
Sardar Vallabhabhai Patel भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता संग्राम से बहुत प्रभावित थे। वह कांग्रेस में शामिल हो गए और असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन सहित ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
भारत का लौह पुरुष:
Sardar Vallabhabhai Patel  को उनके निर्णायक और दृढ़ नेतृत्व के लिए “भारत का लौह पुरुष” की उपाधि मिली। उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक स्वतंत्रता के बाद 500 से अधिक रियासतों का भारतीय संघ में सफल एकीकरण था। कूटनीति और जबरदस्ती के संयोजन के माध्यम से, वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करते हुए, इन क्षेत्रों को एकजुट करने में कामयाब रहे।
प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री:
1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, पटेल प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उप प्रधान मंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री बने। गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने नव स्वतंत्र राष्ट्र की सिविल सेवाओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मौत:
Sardar Vallabhabhai Patel  का 15 दिसंबर 1950 को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारत की एकता में उनके योगदान और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका ने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है। सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा, जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है, का उद्घाटन 2018 में भारतीय राज्य गुजरात में उनके सम्मान में किया गया था।
Sardar Vallabhabhai Patel की विरासत का भारत में जश्न मनाया जाता है, और उन्हें एक दिग्गज नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण अवधि के दौरान राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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निश्चित रूप से, यहां Sardar Vallabhabhai Patel के जीवन और योगदान के कुछ और पहलू हैं:
1. स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:
पटेल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने किसानों और किसानों के अधिकारों की वकालत करते हुए विभिन्न सविनय अवज्ञा आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। अहिंसा और सविनय अवज्ञा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता महात्मा गांधी के दर्शन को प्रतिबिंबित करती है।
2. बारडोली सत्याग्रह:
पटेल की उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक 1928 में बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व करना था। यह ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों, विशेष रूप से गुजरात के बारडोली में किसानों पर लगाए गए भारी करों के खिलाफ एक सफल अभियान था। इस आंदोलन में पटेल के नेतृत्व के कारण उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली, जिसका अर्थ नेता या मुखिया होता है।
3. महात्मा गांधी से संबंध:
पटेल का महात्मा गांधी के साथ घनिष्ठ और भरोसेमंद रिश्ता था, जो अक्सर उनसे सलाह लेते थे। पटेल ने कांग्रेस पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्षों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विभिन्न गुटों के बीच एकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. संविधान सभा:
सरदार पटेल भारत की संविधान सभा के सदस्य थे, जहाँ उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में योगदान दिया। जबकि उनका प्राथमिक ध्यान रियासतों को एकीकृत करने पर था, उन्होंने संवैधानिक चर्चाओं में भी बहुमूल्य योगदान दिया।
5. प्रशासनिक सुधार:
भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में, पटेल ने एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने की दिशा में काम किया। उन्होंने रियासतों के पुलिस बलों को एकीकृत किया और नए स्वतंत्र राष्ट्र में स्थिरता और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की।
6. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को गुजरात में किया गया था। यह भारत को एकजुट करने में सरदार पटेल की दूरदर्शिता और नेतृत्व के प्रति एक श्रद्धांजलि है। यह प्रतिमा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
7. मरणोपरांत मान्यता:
1991 में, भारत सरकार ने सरदार पटेल को राष्ट्र के प्रति उनकी असाधारण सेवा के सम्मान में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया। उनका जन्मदिन, 31 अक्टूबर, भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
8. महिला सशक्तिकरण:
सरदार पटेल महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी के समर्थक थे। उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उनकी भूमिका का समर्थन किया।
9. कृषि सुधार:
पटेल किसानों के मुद्दों को लेकर बहुत चिंतित थे और उन्होंने कृषि सुधारों को लागू करने की दिशा में काम किया। उनका उद्देश्य किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना, भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान करना और बेहतर कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना था।
10. आर्थिक योजना:
एक नेता के रूप में, पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र के लिए आर्थिक योजना के महत्व को पहचाना। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत में आर्थिक विकास और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11. शिक्षा एवं समाज कल्याण:
पटेल ने सामाजिक प्रगति के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जाति या लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसरों और शिक्षा तक पहुंच की वकालत करते हुए शैक्षिक विकास और सामाजिक कल्याण की पहल का समर्थन किया।
12. गुजरात में विरासत:
सरदार वल्लभभाई पटेल को गुजरात राज्य में एक नायक के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक सरदार सरोवर बांध का नाम उनके सम्मान में रखा गया है। गुजरात में वल्लभ विद्यानगर शहर का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है, और इसमें सरदार पटेल विश्वविद्यालय है।
13. स्मारक टिकटें और संस्थाएँ:
उनके योगदान का सम्मान करने के लिए, भारत ने सरदार पटेल की विशेषता वाले कई स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं। देश भर में कई शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, जो उनके स्थायी प्रभाव को दर्शाता है।
14. ऐतिहासिक महत्व:
रियासतों को एकजुट करने और राजनीतिक रूप से एकीकृत भारत बनाने के सरदार पटेल के प्रयासों ने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके योगदान का अध्ययन किया जाता है और स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाता है

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